RBI 2025 रिपोर्ट: क्या आपकी जेब पर भी बढ़ेगा कर्ज का बोझ?
सोचिए, आप अकेले नहीं — देश में हर भारतीय नागरिक औसतन ₹4.8 लाख का कर्जदार बन चुका है। ये आंकड़ा RBI की नई रिपोर्ट में सामने आया है और यही वजह है कि India Per Capita Debt 2025 अब हर घर की चर्चा बन गया है।
2023 में यह आंकड़ा ₹3.9 लाख प्रति व्यक्ति था। यानी सिर्फ दो साल में कर्ज में 23% की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। सवाल है — यह कर्ज क्यों बढ़ रहा है? और इसका असर आपकी फाइनेंशियल सेहत पर कैसे पड़ेगा?
2023 से 2025 में कर्ज 23% क्यों बढ़ा?
अगर रिपोर्ट की गहराई में जाएं तो 3 बड़ी वजहें निकलकर आती हैं:
✅ होम लोन: बड़े शहरों में घरों की कीमतें बढ़ने से लोग लंबी अवधि के बड़े लोन लेने लगे हैं।
✅ पर्सनल लोन: इमरजेंसी या लाइफस्टाइल जरूरतों के लिए पर्सनल लोन का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है।
✅ खर्चीली जीवनशैली: डिजिटल पेमेंट और आसान लोन अप्रूवल ने क्रेडिट कार्ड बिल्स और EMI को आसमान पर पहुंचा दिया है।
RBI के आंकड़े बताते हैं कि भारत का कुल घरेलू कर्ज ₹100 लाख करोड़ से ज्यादा पहुंच चुका है और यह GDP का लगभग 40% हिस्सा है। कोरोना के बाद लोगों ने सेविंग्स की बजाय लोन से अपनी ज़रूरतें पूरी कीं — यही इस उछाल की असली वजह है।
आसान सवाल-जवाब में समझें — क्या बढ़ता कर्ज खतरनाक है?
सवाल 1: क्या ये कर्ज खतरे की घंटी है?
👉 हां, अगर लोगों की आमदनी बढ़ने की रफ्तार धीमी रही तो बढ़ता कर्ज भविष्य में डिफॉल्ट या लोन ना चुका पाने की स्थितियां बना सकता है।
✅ सवाल 2: सबसे ज्यादा भार किस पर?
👉 होम लोन का हिस्सा सबसे ज्यादा (लगभग 60%) है। इसके बाद पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड कर्ज का नंबर आता है।
✅ सवाल 3: आपकी जेब पर असर क्या?
👉 ज्यादा EMI का मतलब कम सेविंग्स और ज्यादा ब्याज। आपकी इमरजेंसी फंडिंग और रिटायरमेंट प्लान भी प्रभावित होंगे।
✅ सवाल 4: क्या ब्याज दरें बढ़ेंगी?
👉 ब्याज दरें पहले से ऊंची हैं और RBI के पॉलिसी रेट्स के बदलाव से होम लोन और पर्सनल लोन दोनों महंगे हो सकते हैं।
✅ सवाल 5: बचाव क्या है?
👉 जरूरत के हिसाब से ही लोन लें, EMI कभी भी इनकम का 40% से ज्यादा न हो। क्रेडिट कार्ड पर फालतू खर्च से बचें और नियमित निवेश करते रहें।
RBI की रिपोर्ट के अहम डेटा बिंदु
- Per Capita Debt: ₹4.8 लाख (2025)
- 2023 में Per Capita Debt: ₹3.9 लाख
- 2 साल में ग्रोथ: 23%
- GDP में घरेलू कर्ज हिस्सेदारी: लगभग 40%
- होम लोन का हिस्सा: 60% से ज्यादा
कर्ज के इस जाल में खुद को कैसे सुरक्षित रखें?
- अपनी इनकम के हिसाब से ही उधारी बढ़ाएं।
- फालतू EMI और क्रेडिट कार्ड लोन न चुकाएं।
- इमरजेंसी फंड में 6 महीने का खर्च जरूर रखें।
- SIP या अन्य दीर्घकालीन निवेश से भविष्य सुरक्षित बनाएं।
- फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लेकर ही लोन री-फाइनेंस करें।
अंत में…
कर्ज होना गलत नहीं है, लेकिन कर्ज का काबू से बाहर जाना खतरनाक है। देश की अर्थव्यवस्था मजबूत है लेकिन परिवार की अर्थव्यवस्था आपको खुद मजबूत रखनी होगी।
आपका क्या विचार है? क्या आपने कभी सोचा कि आपकी EMI आपकी इनकम का कितना हिस्सा खा रही है?
कमेंट में बताएं और दूसरों से शेयर करें ताकि सब अलर्ट रहें।
Great insights about the financial condition of oer capita in india. ..